मेरे ज़स्बात

Hi everyone, hope you guys are keeping well. My today's creation is primarily for those who celebrate valentine on all the days of February and then for those who have left or planning to stay apart to carry on their own journeys, I wish you, All the best. Do well. May Krishna bless you. 

 

कैसी होती है, किसी की काया

क्यूँ बस, इसका मोल लगाया

कैसी होगी, किसी की नियत

कोई चेहरे से ना, समझ पाया

 

सोचा था, वो मेरा अपना है

पर जैसे ये इक, सपना है

वादा भी झूठा, था उसका

क्यूँ झूठे वादों में, तपना है

 

माना, कल ही की, बात है

वो अब भी, बिन बरसी बरसात है

घने काले, बादल थे खाली

किस बिसात पर, खाई मात है

 

वो अपने ही, सफर पर था

मंजिल अपनी की, डगर पर था

ना उसने थी, उम्मीद जगाई

सपना मेरी ही, नज़र में था

      

क्या धोखा, मैंने खाया है

मेरे बदले, क्या उसने पाया है

ये सब, खेल है उपर वाले का

कब कौन, ये समझ पाया है

 

ना जाने कैसा, सरूर है ये  

कितना पालू, नासूर है ये

अपनी मैं में, मगरूर है ये

अब दिलो दिमाग का, फितूर है ये

 

कितना काटा, ये कट ना सका

उम्रे बीती, ये घट ना सका

दिल ही दिल में, दिल घबराता है

बादल ये समय से, छट ना सका    

 

उसकी बात में, आज भी वही बात है

वीरानी में भी, चांदनी रात है

मेरी ना आज भी, हाँ ही होगी

ना समझे वो, पर भीगे हुए जज्बात है

ना समझे वो, पर भीगे हुए जज्बात है

 

 

श्यामिली


Comments

  1. Beautiful composition 👌 as ever 👍

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  2. Very hard to reach on actual Madam , but what I could , it's time .some time Things are became more panicked than actual .it's not same as that seems. Hare Krishna. D....

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  3. घना कसूता लिख्या हैं आज तो आपने मैडम
    आप का लिखा हुआ, भूतकाल में ले गया आज

    Very nicely written
    Keep going ma;am।।।।।। राधे राधे


    @Vikram

    ReplyDelete

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