इंतज़ार
कभी धूप/बारिश, कभी
कम्पन सा
क्या हाल हुआ है, मौसम
का
क्या याद इसे भी, आया
है
कोई यार पुराना बचपन
का
सुबह दोपहर, शाम और
रात
करते थे हरपल, नई करामात
दिन क्या महीनो, अब
पता नहीं
किसके कैसे, हो गए हालात
कोरोना ने क्या, गजब ढाया
है
इंसा को, इंसा से, दूर
भगाया है
खुद हो गए कैद, खुद के
पिंजरे में
पर बचपन का, शनिवार लौट आया है
हाँ, पूछ ना पाई, मैं हाल तेरा
पर हाल तो, अच्छा होगा तेरा
दुआ मेरी है, तू ठीक रहे
मिलना ना जाने, कब होगा तेरा मेरा
ना ज़ूम फेसबुक में, है
वो मज़ा
पर सामने मिलना, अब है
सज़ा
चल मिट्टी पुरानी,
फोटो से हटा
कुछ बचपन के, चक्कर तो
लगा
अच्छे दिन, जल्द ही
आयेंगे
फ़िर घूमने, हम तुम
जायेंगे
जल्द ही होगा ख़त्म, इंतज़ार
बस मिलकर, मजे उड़ायेंगे
बस मिलकर, मजे उड़ायेंगे
श्यामिली
Mast ji😅😅
ReplyDelete👌 nice
ReplyDeleteअच्छे दिन, जल्द ही आयेंगे
ReplyDeleteफ़िर घूमने, हम तुम जायेंगे...बस अब तो इंतजार है ..बहुत ही सुन्दर..
खूबसूरत रचना 👍👌
ReplyDeleteBahut kubh
ReplyDeleteसरस ,सलिल , सत्य , सटीक ,सस्ता ,स्नेहिल ,समयोचिट , स्वच्छ , सुंदर
ReplyDeleteशब्दों का संग्रह । 🙋🙅🤷🌷💐🌲
Kya bat hai...👌
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDelete👌👌
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