Bhagwat Geeta Verse 1.1

Hare Krishna everyone,

In last 2 years I could learn only one verse of Bhagwat Geeta, this is the first verse of BG.


धृतराष्ट्र उवाच
धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सव: ।
मामका: पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत सञ्जय ॥ १ ॥

In the beginning, it was looking like, this is very simple verse and may not be even required in BG, but when I learnt the same from various ISKCON lectures, I relished the real nectar,  So here, I am requesting everyone to read BG with the help of authentic mentors.

Pl forgive me if you find some incorrect words and correct me as well.

क्यूँ बोला, धृतराष्ट्र ये

होगा क्या अब, संजय

करने गए, जब कौरव युद्ध 

और क्या था, उनका काम

 

धर्मक्षेत्र हुआ, कुरुक्षेत्र

कैसे पड़ा, ये नाम

क्या सोचा, तुमने कभी

क्या होगा, अंजाम

 

कर्म किए थे, कुरु ने जो

काटे, हाथ और पांव

धर्म की खेती, कर सोचा

लूँगा बचा मैं, वंश तमाम

 

दुर्योधन, हमको लगे

काम करे, बेकार

लेकिन था, धृतराष्ट्र वो

मोह था, जिसका काम

मोह था, जिसका काम

 

कैसे भी, कुर्सी रहे

ली, दुर्योधन की आड़

दुर्योधन के, जाते ही

लिया, युधिष्टिर थाम

 

धृतराष्ट्र को, ज्ञान था

धर्म है, पांडव संग

गर दुर्योधन, बदल गया

मिटेगा, उसका नाम

 

था तन्हा, पार्थ पर

बचा लिया, दुर्योधन

होंगे अब, कृष्ण साथ भी

क्या होगा, परिणाम

 

गीता सुनी, अर्जुन ने

धृतराष्ट्र, भी सुन गए

बदला ना, धृतराष्ट्र ज़रा

फिर विदुर ने, बोला ज्ञान

 

कहने को एक, सवाल है  

क्या हुआ, हे संजय

पर बिन गुरु, संग के

ना समझे, नादान

हम, ना समझे, नादान

 

 

श्यामिली


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