तेरी याद
ना
कोई गम है
ना
ही फिर तन्हाई है
ना
किसी ने मुडके देखा
ना
भादो की ऋत आई है
फिर
क्यूँ, दिल को बहलाने
तेरी
याद, चली आई है
ख़ामोशी
के हरसू मैले है
कहने
को, तो हम, अकेले है
हर
ख्याल, दिल से यूँ खेले है
ज़ख्मों
की, झड़ी लग आई है
ऐसे
में, दिल को बहलाने
तेरी
याद, चली आई है
टूटी
मैं, या सीखा नया
छूटा
तू, या बीता समा
छटे
बादल, जब आई हवा
महोब्बत
टूट कर, निखर आई है
फिर
क्यूँ, दिल को बहलाने
तेरी
याद, चली आई है
ये
कैसा एहसास है
समंदर
में हूँ, पर प्यास है
दो
घड़ियाँ अब भी है, जो मेरे पास
है
यूँ
तो, जिंदगी यूँ ही, गवाई है
अब
क्यूँ, दिल को बहलाने
तेरी
याद, चली आई है
ना
लफ्ज़ बाकी, ना जाम है
नाकामी
का किस्सा, अब सरे आम है
ख़बर
है, गैरों में
मेरा अब नाम है
कितना
बेरंग है धुआं,
शायद
चिठ्ठियों को आग लगाई है
फिर
क्यूँ, दिल को बहलाने
तेरी
याद, चली आई है
श्यामिली
Kitna berang hai dhuaan ,shayad chitthiyon ko aag lagayi hai ...
ReplyDeleteSuperb Mam
Good one 👍
ReplyDeleteBeautiful
ReplyDeleteHare Krishna
Har bar ki tarah superb Mam
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteSuperb 👍
ReplyDeleteNice 👍
ReplyDeleteGreat mam
ReplyDeleteVery 👍👍
ReplyDeleteBahut aachee....hirdyasaprshi
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