वक़्त वक़्त की बात है
वो
दोस्तों का मिलना
हर
बात पर खिलना
बिन
बात के ही रूठना
बिन
बात फिर बदलना
सब
वक़्त वक़्त की बात है
ना
रंगे हुए चेहरे थे
ना
बिन बात के पहरे थे
ना
उसूल कोई था ज़रूरी
रिश्ते
एकदम गहरे थे
आज
फिर चाये पे मुलाकात है
सब
वक़्त वक़्त की बात है
बचपन
में थी,
जवानी
की जल्दी
जवानी
आई,
हुई
कमाने के जल्दी
यूँ
भागदौड़ का
हुआ
सहारा
जीने
को थी जिंदगी,
रही
काटने की जल्दी
ना
कोई कमाई, ना कोई
रिश्ता बचा
खाली
मेरे अब दोनों हाथ है
सब
वक़्त वक़्त की बात है
ना
खबर कभी लगेगी,
रहेगा
कौन अपने साथ
कुछ
कहकर तो देखो,
कई
गिरेबान पे होगें हाथ
ना
ताल मिले
कैसे
मिल पाएंगे दिल
हर
चेहरा लेकर आएगा
अपनी
अपनी सौगात
गौर
से देखो,
हैरान
सारी काएनात है
सब वक़्त वक़्त की बात है
श्यामिली
Best one composition ma'am 👌 Hare Krishna 🙏
ReplyDeleteWell said
ReplyDeleteVery well written!
ReplyDeleteBeautiful! Har har Mahadev 🙏🏻
ReplyDeleteKya Bat Hai... Kya Bat Hai.....................Kya Bat Hai.....................Sab Wakt Wakt Ki Bat Hai
ReplyDeleteBeautiful
ReplyDeleteJeewan ka Sach
ReplyDeleteWahh Mam.. waahh.. 👌
ReplyDeleteExcellent
ReplyDeleteA true mirror view of current life styles, very good reflection mam
ReplyDeleteGreat madam
ReplyDeleteNice mam
ReplyDeleteAmazingly brilliant...
ReplyDelete