क्या तूने मुझे समझा ही नहीं

ज़िंदगी मेरी, 
ज़िंदगी मेरी, 
क्या तूने मुझे समझा ही नहीं
या फिर, 
मैंने तुझे जाना ही नहीं
तू अपनी धुन में जिधर चलती रही
था उस मंज़िल को, पाना ही नहीं
             बता, 
क्या तूने मुझे समझा ही नहीं
या फिर, 
मैंने तुझे जाना ही नहीं
     
        इक मोड़, हर रोज़,
इक मोड़, हर रोज़,
       आता ही रहा
       जो तोड़के मुझको,
       जाता ही रहा
       अज़ी मैंने कहा,
       अज़ी मैंने कहा,
       उठ के चलदो,
       पर तूने कहा माना ही नहीं
       बता क्या, 
       तूने मुझे समझा ही नहीं
       या फिर, 
       मैंने तुझे जाना ही नहीं

बहते ही रहे,
बहते ही गए,
कभी जीं ना सके
आँसू सूखे,
आँसू सूखे,
सूखे आँसू, कभी पीं ना सके
हर बार तू मुझपे हस्ती रहीं
अब कुछ भी तुझे,
अब कुछ भी तुझे, समझाना ही नहीं  
ज़िंदगी मेरी, 
क्या तूने 
मुझे समझा ही नहीं
या फिर, 
मैंने तुझे जाना ही नहीं

       तूने ख़ूब दिया
       तूने ख़ूब दिया    
       जो तूने दिया, बड़ा ख़ूब दिया
       सब कुछ दिया,
       सब कुछ दे दिया,    
       सब कुछ तो दिया,
             बस,
       महबूब लिया
       सौदा ये था, बेमाना तो नहीं
       फिर मन मेरा क्यूँ,
       फिर मन मेरा क्यूँ, माना ही नहीं  
       ज़िंदगी मेरी, 
       क्या तूने 
       मुझे समझा ही नहीं
       या फिर, 
       मैंने तुझे जाना ही नहीं

                श्यामिली
              







Comments

  1. बहोत ही अच्छा लिखा है मैडम
    लेकिन ये ज़िन्दगी एक अन्न सुलझी पहेली है
    @ Vikram

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  2. Awesome... Very meaningful and touching...

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  3. जब तक चलेगी जिंदगी की सांसे,
    कहीं प्यार कहीं टकराव मिलेगा ।
    कहीं बनेंगे संबंध अंतर्मन से तो,
    कहीं आत्मीयता का अभाव मिलेगा

    कहीं मिलेगी जिंदगी में प्रशंसा तो,
    कहीं नाराजगियों का बहाव मिलेगा
    कहीं मिलेगी सच्चे मन से दुआ तो,
    कहीं भावनाओं में दुर्भाव मिलेगा ।

    कहीं बनेंगे पराए रिश्तें भी अपने तो
    कहीं अपनों से ही खिंचाव मिलेगा ।
    कहीं होगी खुशामदें चेहरे पर तो,
    कहीं पीठ पे बुराई का घाव मिलेगा।

    तू चलाचल राही अपने कर्मपथ पे,
    जैसा तेरा भाव वैसा प्रभाव मिलेगा।
    रख स्वभाव में शुद्धता का *'स्पर्श'* तू,
    अवश्य जिंदगी का पड़ाव मिलेगा ।

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  4. जो छीना मुझसे वो शायद मेरा था ही नही,यही समझा के दिल को रोका जो जीना चाहता ही नही।जिंदगी मेरी क्या तुने मुझे समझा ही नहीं या मैने तूझे जाना ही नही।।
    Awsm lov u

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  5. बहुत अच्छा लिखा है

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