तुम्हारी बातें
ये जीत हार की बातें
हमें समझ नहीं आतीं
तेरे इनकार की बातें
हमें समझ नहीं आतीं
ता उम्र गुज़ारी है
जिसकी पनाह में
कैसे उसे कहदे
की हम बेवफ़ा थे
ये बेवफ़ाई की बातें
हमको नहीं भातीं
ये जीत हार की बातें
हमें समझ नहीं आतीं
दिल का क्या कहे
ये दर्द ढूँढ ही लेता है
हम कैसे समझाए इसे
ये जीवन इक समझोता है
इस उम्र में तन्हाई
क्यूँ छोड़े, नहीं जाती
ये जीत हार की बातें
हमें समझ नहीं आतीं
क्यूँ ज़रूरी है, मेरा जानना
ना जानूँ मैं, ख़ुद भी
ज़िद छोड़, कहा मानना
कह दे तू, ख़ुद भी
जाते हुए, कहानी अधूरी
अब छोड़ी, नहीं जाती
ये जीत हार की बातें
हमें समझ नहीं आतीं
क्या यक़ी है तुम्हें
हम फिर जन्म लेंगे
जो चित्र अधूरा रह गया
रंग उसमें भर देंगे
किरमिच पे अक्सर स्याही
लम्बी, चल नहीं पाती
तेरे इनकार की बातें
हमें समझ नहीं आतीं
ये जीत हार की बातें
हमें समझ नहीं आतीं
श्यामिलि
Brilliant....
ReplyDeleteये इश्क और खुमार की बातें हमें समझ नहीं आती, तल्खीयो के तजर्बे इस कदर भाये केदिल की जबान अब समझ नहीं आती ।।
ReplyDeleteछा गए तुस्सी सोणयो��
शुक्रिया जी
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteजो चित्र अधूरा रह गया
ReplyDeleteरंग उसमें भर दें(गे)
किरमिच पे अक्सर स्याही
लम्बी, चल नहीं पाती
वाकई तुम लिख सकती है, बहुत ख़ूब लिखा है।
Really nice
ReplyDeletebrilliant
ReplyDeleteक्या यक़ी है तुम्हें
ReplyDeleteहम फिर जन्म लेंगेजो चित्र अधूरा रह गया रंग उसमें भर देंगे...दिल को छू देने वाली पंक्तियाँ है ..बहुत खूब
Bahut khoob Bhabhi 🙏
ReplyDeleteThank you so much all
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