कब तक

कब तक, दिल, बहलायेगा कोई
कब तक, अश्क़, बहाएगा कोई
तुम रूठे रहे सदा, इस उम्मीद पे
इक दिन तो, तुमको मनाएगा कोई  

तुम आंधी ही रहे होगे
तभी तो वो, उड़ गया था
तुम मोड़ पर ही, खड़े रहे होगे
तुम्हारी तरफ़ वो, मुड़ गया था

कब तक, उड़ता, जाएगा कोई
कब तक, पीछे, आएगा कोई
एक तसल्ली से, देख ही लेते
कब तक, आस, लगाएगा कोई

तुम शोर की, तलाश, में रह गए
वो एकान्त में, ढूँढता, रह गया
तुम भीड़ में, गुम, ही रह गए
वो प्रेम में, पागल, बह गया

कब तक, पुकारे, जाएगा कोई
कब तक, नज़रें, बिछाएगा कोई
तुम इक झलक, दिखला, तो देते
कब तक, ना, बिसराएगा कोई

तुमने सरगम तो, ज़रूर, छेड़ीं होगी
वो मोह में, मघ्न, हो गया
मनके तार भी, झँझोड़े, होंगे
और वो, गीतकार, हो गया

कब तक, धुन बजाएगा, कोई
कब तक, गुनगुनायेगा कोई
तुम तक, इक तराना ना पहुँचा
कब तक, गीत गाएगा कोई

ना शुरुआत की तूने, पर अंत तो कर
ना मीठी बात की तूने, पर मन तो पढ़
अब तो इंतज़ार ने भी दम तोड़ दिया
ना साथ दिया तूने, कुछ मरहम तो कर

कब तक, जीते जाएगा कोई
कब तक, नैन बिछाएगा कोई
औपचारिकता ही कर, मेहमाँ ही बन
कब तक, साँसे चलाएगा कोई    

श्यामिलि

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

ना जाने क्यूँ, ना जाने क्यूँ, हो गयी मैं बड़ी

Yes, I am Turning Forty

दास्ताने इश्क़ है ये अपनी, ये ना कभी, रवाँ होती है