निर्भया
क़ानून की आँख पर, पट्टी है बंधी
हाथ में तराज़ू तो है, पाँव में बेड़ी है पड़ी
अब ये पट्टी खोल भी दो
न्याय को तरसें है हर घड़ी
हिंदुस्तान क़ब्रिस्तान हो गया
खून जाने क्यूँ सफ़ेद हो गया
अब ये पट्टी खोल भी दो
अब नर कूचे- कूचे में जल्लाद हो गया
हर बात राजनीति में मुद्दा है
जल्लाद निर्भीक है ज़िंदा है
अब ये पट्टी खोल भी दो
हर माँ, देश की, शर्मिंदा है
इक और निर्भया सिसकती गयी
आख़री साँस तक तड़पती रही
अब ये पट्टी खोल भी दो
बचाओ, कई निर्भया है क़तार में खड़ी
ज़रा सोचो, कैसे, चीख़ी होगी
कब तक, और नहीं, बोली होगी
अब ये पट्टी खोल भी दो
कैसे जीते जी, वो ज़ली होगी
महसूस ना हुआ हो, तो करो एक काम
इक उँगली जलालों, लो राम का नाम
अब ये पट्टी खोल भी दो
या बिन कपड़े घूम के देखो, एक बार सरे आम
नहीं तो खुल्ला व्यापार होगा
हर घर ही बाज़ार होगा
अब ये पट्टी खोल भी दो, वर्ना
क़ानून ख़ुद बिकने को तैयार होगा
अब मेरे कान्हा, तू ही आजा
दीन अबला की लाज बचाजा
क़ानून की आँख को सम्बल दे जा
बिनती सुन ले, आस बंधाजा
श्यामिली
Innocent can be reformed... but not a juvenile !!! Hang them 😡
ReplyDeleteMadam, Encounter is the best option for these types of culprits.
ReplyDelete@ Vikram
True lines mam.
ReplyDeleteIndian law should be strict and immediate judgement is required in these type of case. ONLY ONE SOLUTION- PHANSI
Truth is this only
ReplyDeleteWo kitni dard se tadpi hogi 😢😢
दिल को छु लेने वाली कविता है। इस देश की न्याय व्यवस्था पर आपने सही चित्रण किया है।
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