एहसास
क्या फिर से इतिहास लिखें
इस बार अपने एहसास लिखें
क्या करना शेर या सूरी का
क्या अपना है, विश्वास लिखें
ना सोचा था ये करना होगा,
बेहिसाब का कुछ हिसाब लिखें
हाँ, कुछ बदली बदली सी हूँ मैं
कैसा अदब,क्यूँ हूँ मैं बदहवास, दिखें
क्यूँ सुबह की रोज़, हो जानें दें रात
क्या करें जो, कभी तो शाम दिखें
ये नज़र कब तक झुक के रहें
नज़र से नज़र का ये हिजाब उठें
गुफ़्तगू से है बेज़ार, घर की दीवारें
ना ऐसा हो, सीवा रस्ता देखता, दिखें
हर एहसास सिराहने में लिए है बैठे
क्या क्या बदला तगाफुल से हमको तो दिखें
कुछ गुलाबी सा, ये आसमा तो करें,
सुबकते हुए ही कुछ परवाज़ दिखे
है गुमां अब भी, हमें रंगीनियों का
ना जाने कहाँ जाके दास्ताँ ये रुके
कैसे काटा है सफ़र जीने का
क्या क्या पाया, क्या है खोया, क्या लिखें
अब हर सांस में मोहब्बत तो भरदों,
उसके प्यास की तो, कुछ आस दिखे
है अब भी होंसला, फ़िर से जियें
सकूँ दिल में है, क्यूँ आँसू को पिए
ना थी किसीकी निमत, ना सही,
थी उसकी रहमत, रहमत तो लिखें
श्यामिली
Nice mam
ReplyDeleteVery nice presentation... madam
ReplyDelete@vikram
Good one
ReplyDeleteBht bdiya mam
ReplyDeletePerhaps the Spirited n Rejuvenated child is clearly evident in this collection of articulated thoughts..you can connect every thought in a glance!!!
ReplyDeleteBravo n keep it up!!!
अति सुंदर 🙏
ReplyDeleteNice lines
ReplyDeleteBravo 👌
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