बस, जाने दो
आज आस नई
दिल में आई
उनकी धड़कन भी
फिर दी सुनाई
जाने वाले
कब लौटे है
जाने वालों को,
चले जाने दो
इन आसों को
बह जाने दो
बह जाने दो,
बह जाने दो
क्या दूर बजे
है शहनाई
या मातम की
आवाज़ आई
क्या क्या मंज़र
देखना बाक़ी
है
मौसम थोड़ा
खुल जाने दो
इस मंज़रो को
बह जाने दो
बह जाने दो,
बह जाने दो
कितना खुदक़ो
रोक लिए
कितने बाँध
बना लिए
कितना और
सिसकना है
इन नज़रों को
धूल जाने दो
इन बाँधो को
बह जाने दो
बह जाने दो,
बह जाने दो
जीवन तेरा
जीवन मेरा
कहीं साँझ
हैं कहीं
सवेरा
जाने कब तक
रात रहे
थोड़ा तारो को
टिमटिमाने दो
दुखते लम्हों को
बह जाने दो
बह जाने दो,
बह जाने दो
तेरा मेरा
रास्ता अपना
कहीं छांव
कहीं धूप में
तपना
तेरे मेरे
तूफ़ा अपने
तूफ़ानो को
थम जाने दो
मंज़िलों को
बस जाने दो
बस जाने दो,
बसजाने दो
तू फूल उसी
डाली का है
क्यूँ लगता चमन
माली का है
तू मुसकाए
खिल जाए
अरमां दिल के
रंग लाने दो
रोते रोते
मुसकाने दो
इन अश्क़ो को
बह जाने दो
इन अश्क़ो को,
बह जाने दो
तू ख़ूब खिले
तू ख़ूब फले
तेरे आगे,
चाँद-तारे झुके
तुझे ममता का
साया भी मिले
मेरी बगिया भी
खिल
जाने दो
नए फूलो को
मुसकाने दो
जो बीत गया
उसे जाने दो
नई दुनियां एक
बसाने दो
थोड़ा मुझको
इतराने दो
नया गीत कोई
गुनगुनाने दो
तुम जाने दो
बस,
मुझे, बस जाने दो
मुझे, बस जाने दो
श्यामिली
Nice maam
ReplyDeleteMadam, aaj to bs poocho mat zabardast likha hai aapne..
ReplyDelete@ Vikram
Nice mam
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteLovely 👌
ReplyDeleteGreat Composition
ReplyDeleteGood Articulation of thoughts. Keep d momentum!!!
ReplyDeleteNice thought
ReplyDeleteVery nyc
ReplyDeleteGreat
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