खाली घोंसला

 

होगा अपना भी घोंसला खाली,

जब पर उनके आ जायेंगें

होगी शामें भी तनहा,

जब, सब, दूर चले जायेंगे

याद बस यहीं रहेगा

कैसे किया था आबाद

कैसे बसाया था आशियाँ

अब मकान भी घर कहलायेंगे

 

नन्हे नन्हे पाँव थे उसके

नन्ही नन्ही उलझने थी

तुतली तुतली बोली थी

अब निशाँ भी नज़र ना आएंगे

होगी शामें फ़िर तनहा,

जब सब दूर चले जायेंगे

 

धुंधली धुंधली तस्वीरें होंगी

खाली खाली से आँखे होगी

कल वो अपने सफ़र में होंगे

कल वो खुद का घोंसला बनायेंगे

कल अपना घोसला खाली होगा

जब उनके पर आ जायेगे

 

दुनिया की है रीत निराली

मिला तभी, जब झोली, खाली कर डाली

जितना पाया उतना लुटाया

अब क्या खाक लेकर जायेंगे

याद बस यहीं रहेगा

कैसे किया था आबाद

कैसे बसाया था आशियाँ

अब मकान भी घर कहलायेंगे

अब मकान भी घर कहलायेंगे

 

श्यामिली

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