बचपन

तेरे आने से शायद, लौट आए बचपन

वर्ना चालीस में, उम्र हो गयी है पचपन

तेरे आने से शायद, लौट आए बचपन

फ़िर जीने लगे शायद, लौट आए लड़कपन

 

तन और मन, ना जाने क्यूँ, भारी-भारी है

क्या सुध है, ना जाने, क्या तैयारी है

तूने जगाया, खूब घुमाया, बढाई मेरी धडकन

तेरे आने से जैसे, लौट आया है बचपन

 

तूने सराहा, तूने निखारा, और नया विश्वास दिया

नई उम्मीद, नए सपने, और हर्षोउल्लास दिया

अब मुस्कान नई है, ना बाकी रहा कोई कम्पन

अब मुस्कान नई है, ना बाकी रहा कोई कम्पन

तेरे आने से शायद, लौट आया है बचपन

 

मै बदला, बदला मेरे जीने का ढंग

पंछी हूँ अब, मन को मिली नई उमंग

ना ख्वाहिश कोई बाकी रही, ना रही कोई मन में उलझन

तेरे आने से यकीनन, लौट आया है बचपन

तेरे आने से यकीनन, लौट आया है बचपन

 

श्यामिली 

Comments

  1. Very very nice presentation on childhood....keep going madam.


    @vikram

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  2. I know this feeling 🥰 wonderful ma'am 👏👏👏

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  3. तेरे आने से शायद, लौट आए बचपन

    वर्ना चालीस में, उम्र हो गयी है पचपन

    तेरे आने से शायद, लौट आए बचपन

    👌👌👌👌👌

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  4. आपकी कविता से मैं भी बचपन की यादों मे खो गया.. बहुत ही सुन्दर

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  5. बसंत ऋतु , m I right madam ?

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  6. Very nice👍👌🙌👏👏👏

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