तेरा इश्क़

 

आसां कहाँ कभी,

ये इश्क़ हुआ है

ना ये किसी की,

मुँह मांगी दुआ है

जिंदगी बदल जाए,

हो जाए जो किसी के  

ना हो पाए तो,

एक रंग है, जो अनछुआ है

 

किस्मत में सबकी,

ये रंग नहीं होता

मन चाहे मनमीत का,

हरपल संग नहीं होता

जिसको मिला वो,

सम्भाल भी ना पाया

दीवाने कई हुए मगर,

हर कोई मलंग नहीं होता

 

दिल की दुनिया का पता,

ना किसी को पता है

जिन्हें मोहब्बत हो हुई

वो भी लापता है

जो डूबेगा इश्क़ में,

वो लगेगा पार,

जो डूब ना पाए,

सम्झें बस, उनकी खता है

 

दिल का दर्द तो जाए

पर दाग ना जाए

तडप रहे बरकरार

इश्क़ की आग ना जाए

हर आहट पे नई

आस भी हो प्यास भी हो

लफ्ज़ चाहे खो जाए

पर इश्क़ का राग ना जाए

 

 

श्यामिली

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