गम की शाम, ढल जाएगी
ढल जाएगी
ये घड़ी, हाँ, गम की है
साँसे, अभी थमी सी है
फ़िर से सुबह आएगी
हर कोना महकाएगी
ढल जाएगी, ढल जाएगी,
गम की शाम, ढल जाएगी
सदी का है ये, फलसफा
हुआ वक्त है क्यूँ, बे-वफा
ना समझा जिसने, और किसी को
उसे याद अब, खुदा की
आएगी
ढल जाएगी, ढल जाएगी,
गम की शाम, ढल जाएगी
कुदरत ने उठाया, फ़िर तराजू है
पलड़ा हल्का अपना, दुश्मन बे-काबू है
इन्साफ तो हुआ है
पर इंसानियत, क्या बच पायेगी
ढल जाएगी, ढल जाएगी,
गम की शाम, ढल जाएगी
कितना खोया, अब और नहीं
जिंदगी मांगों, मौत का दौर नहीं
अपनी औकात, पहचानी है आज
अब ज़िन्दगी मुकम्मल, बन जाएगी
ढल जाएगी, ढल जाएगी,
गम की शाम, ढल जाएगी
जीतेगी इंसानियत, हारेगी वहशत
जीतेगी खुशहाली, हारेगी दह्श्त
गुमां सबके, ढेर हो
जायेंगे
तकब्बुर की निशानी, रह
जाएगी
ढल जाएगी, ढल जाएगी,
गम की शाम, ढल जाएगी
खुशियों की घड़ी फ़िर
आएगी
गम की शाम, ढल जाएगी
पेड़ो पे पतियाँ फ़िर
हरी होंगी
जुबानो पे सबके मिश्री
की डली होगी
मिल कर बांट लेंगें, अम्बर उस नीले को
शब्-ए-फुर्कत, वस्ल का
रास्ता बन जाएगी
ढल जाएगी, ढल जाएगी,
गम की शाम, ढल जाएगी
श्यामिली
Hopefully everything will be fi9 👍 Keeping my fingers crossed 🤞
ReplyDeleteVery pt
ReplyDeleteCsn I share with courtesy on fb
बिल्कुल जी
DeleteAsha ki kiran...dal jayegi ye garhi
DeleteNai asha ki kiran
ReplyDeleteAapke duanye aur hope sar aankho pe madam , jaldi se sab normal ho .
ReplyDeleteBhagwaan ji sab normal kar de jaldi se....
ReplyDeletePrabhu se yahi prathana hai sab theek kar do
ReplyDeleteVery good poem mam
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