बस कर

 बस कर

अब तो बस कर

 

समेट ले, अपने जुर्मो को

फल मिलेगा, तेरे कर्मो को

 

ख़त्म ना हो जाए, नस्ल तेरी

और ना बो, जुल्म की फसल नई

 

अब तो हो, गई इन्तेहाँ

बक्शा ले तू, अपनी जाँ

 

छोड़ दे जिद, अब खौफ़ तू खा

कितने खूनी मंजर, और तू देखेगा

 

अकेला है तू, ये दौड़ कैसी  

ना बस में कुछ, ये चौड़ कैसी

 

और क्या क्या तू, दिखलायेगा  

आदमी है, आदमी को ही डसता जायेगा

 

तूने बेच के अपनी, इन्सानियत को

क्या पाया, बस हैवानियत को  

 

ये वक़्त ना कभी, लौट पायेगा

मान जा, नहीं तो पछतायेगा

 

रात है काली, आएगा दिन भी नया

रात है काली, आएगा दिन भी नया

इंसान बनने को, पहला कदम तो बड़ा

 

ना जीतेगा, तू कुदरत से

प्यासी है ये अब, मुद्दत से

 

बस कर

अब तो बस कर

 

तक़दीर तेरी थी, फ़क़ीर होना

लाज़िम था तुझमे, ज़मीर होना

 

पर तूने क्या, खेल रचाया

तू खुदा है, कैसे गरूर आया

 

अब भी ना, खौफ़ तू खा रहा

खूनी है बना, ना पछता रहा

 

नए तरीको से तूने, सबको है धोखे दिए

इंसा नहीं जानवर है तू, घूमता है लहू पिए

 

और कितनी दहशत फैलायेगा   

तेरा कर्म ही तेरे आगे आएगा

 

दुनिया झुझ रही महामारी से

तू बाज़ ना आया मक्कारी से

 

नकली दवा, जमाखोरी

कैसे जरूरत तेरी होगी पूरी

 

देख, संभल, होश मे आ

तू बदल, समां भी बदलेगा

 

उम्मीद है बाकी, तू हाथ बड़ा

फ़रियाद कर, अपने गुनाह बक्शा

 

अब दे तू गुहार, ना हो मायूस  

करेगा माफ़, तुझको आदि पुरुष

 

बस कर

अब तो बस कर

कृष्ण कृष्ण पुकार

कुछ कीरत कर  

बस कर

बाकी सब बस कर

 

 

श्यामिली

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