मेरे दोस्त

क्या पता मुझको, कैसी होती

क्या बिलकुल ही, ऐसी होती

बिना तेरे ओ मेरे दोस्त

क्या जाने, ज़िन्दगी कैसी होती

 

कौन धूप में, छाँव करता

बंजर मंज़र में, गाँव करता

तेरा कारवाँ, जो ना साथ होता

ना मेरे दर्द की, दवा होती

बिना तेरे ओ मेरे दोस्त

ना जाने, ज़िन्दगी क्या होती

 

मशीन सी, जीने की राहें थी

मिली जुली सी, अपनी चाहें थी

तेरी नज़र का, नज़ारा नहीं मिलता  

ना जाने, किसकी पनाह होती

बिना तेरे ओ मेरे दोस्त

ना जाने. कौन सी अपनी आह होती

 

काश तुझको भी, मेरी याद सताए

कोई मुश्किल ही, फिर करीब लाए

यूँ तो होंगे तेरे, सहारे कई

बस मेरी साथ ही, तुझको करार आए

बिना तेरे ओ मेरे दोस्त

ज़िन्दगी मेरी, यूँ ही ना गुज़र जाए

 

 

 

श्यामिली  


Comments

  1. Wah wah ae dost.....😍😍😚

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  2. Meera ka had , divine love 🙏🙏🙏🙏🙏

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  3. दोस्ती के मायने क्या होते हैं आपने बहुत ही सुंदरता अपनी कविता में पिरोया है।

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  4. दोस्ती क्या मायने होते हैं आपने अपनी कविता में बहुत ही सुंदरता से प्रस्तुत किया है।

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