क्या याद करोगे
तुम
भी क्या याद करोगे,
हम
ऐसे तुमको भूलेंगे
तेरे
किस्से तेरी यादें ,
अश्को
से हम धो लेंगे
जैसे
तुझको, जाना ही नहीं
ऐसे
तुझको देखेंगे
जैसे
तुझको, पाया ही
नहीं
ऐसे
तुमको खो देंगे
हर
एहसास मिटा देंगे
हर
ज़ख़्म भर लेंगे
तुम
भी क्या याद करोगे,
हम
ऐसे तुमको भूलेंगे
वो
मिलना भी ना जाने,
कैसे-क्या
मिलना हुआ
ना
आग, कहीं सुलगी
ना
उठ्ठा कहीं पे धुआं
ना
सजदे करेंगे अब
हम
और राहों में तेरी
ना
ढलेगी अब कोई शाम,
अपनी, बाँहों में
तेरी
तेरे
आने की ख़बर,
अब
दिवाली, सी ना रही
तुझे
मिलने से अच्छा,
दफन
यादों को कर लेंगे
तुम
भी क्या याद करोगे,
हम
ऐसे तुमको भूलेंगे
याद
नहीं है अब मुझको
तूने
कैसे पुकारा था
कैसे
कैसे मेरे लिए
कैसे
सबको दुत्कारा था
हाँ, याद नहीं है
अब मुझको
रूह
कैसे चुराई थी
कैसे
कैसे एक पल में
मैं
हुई खुद से पराई थी
तेरा
फिर से होने से अच्छा
खुद
के थोडा हो लेंगे
तुम
भी क्या याद करोगे,
हम
ऐसे तुमको भूलेंगे
श्यामिली
"तेरा फिर से होने से अच्छा ,खुद के थोड़े हो लेंगे " it's just extreme level of imagination , hats off Mam 🤷🤷🤷🙏🙏🙏
ReplyDelete👍 nice mam
ReplyDelete🙏
ReplyDeleteNice mam 🙏
ReplyDeleteबहुत ही दर्द है आपकी कविता में ।
ReplyDeleteBahut gehraai hai aapke shabdo mein👏👏👏👏
ReplyDelete👌🙏
ReplyDeleteAwsome
ReplyDeleteNice to see this side of you 💕
ReplyDeleteVirah geet. Nice 👍
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