तूने मुझको बनाया

था, तूने मुझको बनाया
पर लगा, 
मैंने ही मुझको बनाया
तूने छोड़ा ना,
कभी मुझको अकेला
पर, खुदक़ो था,
अकेला ही पाया
तो मान लिया, 
मैंने मुझको बनाया
ये जन्म,
ये जन्म था मेरा,
बिलकुल तेरा
दो पल को ही था,
लगना इसमें डेरा,
फिर क्यूँ हर पल,
फिर क्यूँ हर पल,
था मेरा मन भरमाया
नादान थी मैं,
नादान थी मैं,
कुछ समझ ना आया
था, तूने मुझको बनाया
था, तूने मुझको बनाया
पर फिर मान लिया, 
मैंने मुझको बनाया
तेरे साथ से ही,
तेरे साथ से ही,
सदा से ही थी खड़ी मैं
पर जाने क्यूँ थी,
सब से लड़ी मैं
तेरे हाथ थी, डोरी
थी बाँह,
थी बाँह तूने मरोड़ी
क्यूँ मन मेरा ये
समझ ना पाया
तू था,
तू था मेरे लिए
रूप बदल के आया
था, तूने मुझको बनाया
पर मुझको लगा, 
मैंने ही मुझको बनाया
वो ना हार थी मेरी
वो ना, हार थी मेरी
हाँ, पर, सीख थी मेरी
वो बस थोड़ा सा,
वो बस थोड़ा सा,
रोष था मेरा
लगा क़िस्मत पे,
जो दोष था मेरा
पर आज फिर
पर आज फिर
बात समझ ये आयी
प्रारब्ध था मेरा,
ना थी क़िस्मत की लड़ाई
तूने कैसे कैसे
जाने कैसे कैसे
था समझाया    
नादान थी मैं,
हाँ, नादान थी मैं,
कुछ समझ ना आया
था, तूने मुझको बनाया
हाँ, था, तूने मुझको बनाया
माटी का पुतला था,
माटी सा ही था मान
तेरी थी मेहरबानी
पर मेरा था अभिमान
खुली जब,
खुली जब,
आँख पे पड़ी ये पट्टी
मोम सा हुआ मन,
था अबतक जो हट्टि
था खुला आसमा अब,
ना कोई बादल था छाया
हाँ माना मैंने
तूने मुझको बनाया
हाँ, माना मैंने
तूने ही मुझको बनाया

श्यामिली

Comments

  1. था तूने मुझको बनाया
    पर लगा मैंने ही मुझको बनाया ...श्यामली जी बहुत ही सुन्दरता से अपने विचारों को लिपिबद्ध किया है

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  2. Madam,आज मेरे पास कोई शब्द नही है, जो आपने लिखा हैं उस के बारे मे कुछ व्यक्त कर सकू....क्यों कि आप हर बार पहले से ज्यादा बेमिसाल लिखते हो.
    अति उत्तम

    @ vikram

    ReplyDelete
  3. Best one ma'am 👌👏👏👏

    ReplyDelete

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