तलाश



तलाश तो है, उस लम्हे की, जो बीत गया 
तलाश तो है, उस ज़स्बे की, जो भूल गया
काश वो मुक़ाम भी आए, वो कहें
तलाश तो है, उस कमले की, वो किधर गया

तू ना कर पाया वफ़ा, 
तो, ना वक्त ज़ाया कर
पलट, देख ले, एक बार,
शायद मुकम्मल तेरी तलाश हो

हर शख़्स वही खोजता है
जो उसको मिला नहीं
जिसे पाकर भी खोया
उसका कभी ग़िला नहीं   

ना दर्द बाँट पाया मेरा, 
ना गम है मेरे दोस्त,
तेरे बचपन के सहारे भी
मेरी मरहम के लिए काफ़ी है

हम तो यूँ आस लिए बैठें है
गोया, कुदरत उसे तलाशेंगी, हमारे वास्ते    

कुछ घड़ी और जो हो जाती
जाने किससे सामना होता
साँस जिस्म से निकल जाती
ज़ाया तेरा लौटना होता

दो घड़ियाँ सकूँ की ही तो, माँगी थी, 
उस परवरदिगार से
तुम क्यूँ रूठ के, उठ के चल दिए
मेरी मज़ार से    

पाकीज़ा सी ज़िंदगी थी
कैसे रास्ता भटक गए तुम
सकूँ अपना भी खोया
तलाश अभी खुद की भी बाक़ी है

तुम यूँ ना देखा करो मुझे, उम्मीद से
अभी तो मैं खुद ही की, तलाश में हूँ


श्यामिली

Comments

  1. Beautiful expression 👌 simply perfect 👍

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  2. तलाश अभी तो खुद की भी बाकी है..100 प्रतिशत सत्य। मै अभी भी अपने तलाश में हूं..बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति है।

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  3. Woww! very nice write up di👍

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  4. तुम यूँ ना देखा करो मुझे, उम्मीद से
    अभी तो मैं खुद ही की, तलाश में हूँ

    Madam ye to zabardast likha hai

    @ Vikram

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  5. Bohat khub ma'am, Very Nicely Written.👌

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  6. Too much of Memoirs Roller coaster.perhaps it requires more than ever patience n choice of words to keep d thread bonded. Truly Inspiring...God bless you..

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