फ़लसफ़ा
अदा तेरी है या, तू अब भी खफ़ा है
तेरे माथे की सिलवट,
बनी अब सज़ा है
क्यूँ घेरे तुझे है, मायूसी
के बादल,
इनसे गहरी तो मेरी, जुल्फ़
की घटा है
क्या खोया है तूने, जमाना
गवां कर
क्या खोया है तूने, जमाना
गवां कर
मेरा साथ है तो, ना
कुछ भी लुटा है
है माना अँधेरे-भरी,
ये डगर अब
आ, रोशनी के लिए, मैंने खुद को तपा है
क्यूँ आँखें है नम, क्या
जकड़ें हैं गम
तेरी ये इक हँसी, साँसों
की वजह है
बस, तेरी ये इक हँसी, साँसों
की वजह है
बड़े हमदर्द होंगें, चाहे आज़माले
बड़े हमदर्द होंगें, चाहे आज़माले
खुद को खोकर, कोई क्या,
हुआ तुझपर फ़िदा है
ना जज़्बात देख, ना हालात देख
कितने आए गए, हुआ कौन फनाह है
तेरी-मेरी कहानी, कभी बदलेगी जानी
तेरी-मेरी कहानी, कभी बदलेगी जानी
मेरे जीने का बस, यहीं फ़लसफ़ा है
श्यामिली
Superb
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ReplyDeleteSuch a b'ful composition 👌 Grt ma'am 👏👏👏
ReplyDelete👌👌
ReplyDeleteAwesome👍👍👍
ReplyDeleteCreativity at its best.
ReplyDeleteWawoooo . Hmmmmmm
ReplyDeleteबहुत बहुत अच्छा
ReplyDeleteGood job..
ReplyDeleteKeet it up
Wow... Nice
ReplyDeleteमायूसी के बदल , जुल्फ की घटा " Madam ,kya baat ,kya baat 🙏🙏
ReplyDelete👌👌👌
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