लीला

 

उसने क्या कहा

उसने क्या किया

मैंने कुछ नहीं किया 

मेरे साथ ये क्यूँ हुआ

इतना सब क्यूँ सोचना है

हम ने कितना जीना है

छोडो सब जंजालों को

क्यूँ तन्हा आँसू पीना है

 

हर रोम का अपना किस्सा है

कहीं अहम, कही गुस्सा है

आज, बीते कल का, हिस्सा है

अपना ही खून पसीना है

छोडो सब जंजालों को

क्यूँ तन्हा आँसू पीना है

 

कुछ साथ रहेंगे, कुछ भूलेंगे

कुछ अंतरमन को छू लेंगे

कुछ को हम भी भूलें है

ये समझ ही खुद, एक नगीना है

छोडो सब जंजालों को

क्यूँ तन्हा आँसू पीना है

 

हम कितने पुराने है

खुद से ही अनजाने है

मन अपने यूँ मैंले है

कितने बरस, जाने जीना है

छोडो सब जंजालों को

क्यूँ तन्हा आँसू पीना है

 

खुल के जिओ, खुल के हसलो

खुशियाँ बांटों, और खूब फलो

क्या रख्खा तेरे मेरे में

सब में गोविन्द है, जिससे भी मिलो

है रूप भी वो, कुरूप भी वो

बनाये भी वो, ढाए भी वो

मिटटी का तू, इक खिलौना है

किस बात पे चौडा, सीना है

बस करले उसको, याद ज़रा

उसकी ही, ये सब कुछ लीला है         

 

श्यामिली


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