No looking back

 

पलट पलट कर, 

देखोगे मुझे

सोचोगे इतना, 

तो खोदोगे मुझे

इक उम्र गुजारी है 

राह तकने में तेरी

अब भी ना आए तो, 

ना मिलेंगे तुझे

गहरी काली, 

चाहे रात हो

विरानियों का 

बस साथ हो

ना आएगी फिर,

किसी की आहट

चाहे, होठों में दबी, 

कोई बात हो

ना कोई फिर,

सहारा होगा

मैं यूं टूटा , 

ना टूटा कोई सितारा होगा

ना तुम जो, 

हमारे हुए 

ना कोई अब, 

तुम्हारा होगा

जुबां जैसे 

सिली सी है

हसीं तेरी 

गुमी सी है

कराहने का 

मन है मगर

आह कब्र में 

दबी सी है

चाहे तू मिले अब,

गर्दिश में

चाहे तू पढ़े अब,

आयेते

ना लौट के 

मैं अब आऊँगा

चाहे करें सौ

मिन्नतें

अब जो करना

सोच कर करना

मेरी मानो

इस बात से डरना

मैं समय नहीं

पर कम भी नहीं

मेरे जाने के बाद

मेरा इंतजार ना करना


श्यामिली

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